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"तुम्हारी जरुरत है दुनिया को"

क्या ऐसा नहीँ हो सकता कि कोई छाती मेरे भारी मन को सहने के लिए तत्पर हो जिसपर मैं झटके से सर पटक दूँ, दुखी रहना कोई चुनता है क्या.. शायद मैं चुन लेती हूं, गलती से सही मगर दुख मुझे अपने आप में निगलता जाता है और मैं उसे इतना करने का साहस बिना हसे, खिलखिलाए , बिना अपने पसंदीदा गाने को सुने, करने देती हूं।

उस पल मैं जोर- जोर से हंसना चाहती हूं लेकिन  इतना विलिक्षण आसाहय दर्द मेरे पेट की आतड़ियों में  चुभता है कि वो चीख कही अंदर ही दब के रह जाती है...

स्थिति किसी अधेड उम्र के बुजुर्ग जैसी जान पड़ रहीं है जो मौत के इंतज़ार में रिटायरमेंट वाले दिन काट रहा है..

उसका बेटा है जो रेलवे स्टेशन पर ही बगल में बैठा फ़ोन में कोई समाचार पढ़ रहा होगा, लेकिन बजुर्ग एक ही दिशा में  एक टक नज़रे गढ़ाए हुए है। इंतज़ार रेल का है या पता नहीँ।

वो ज़रूर रोना चाहता होगा. उसकी आँखे भरी हुई है।

आपके आस-पास होने का अर्थ सिर्फ होना नहीं है अपितु हाथ थाम कर अपने होने का एहसास दिलाना भी है।चुनाचे जगत में हर कोई ये नहीं चाहता लेकिन मुझ जैसे चंद  लोग होंगे जो इसकी सम्भावना रखते हो।

होने को तो एक दुनिया चलती रहती है,मगर आग शरीर पर दहक जाए तो वे लोग जो तुमसे बेझिझक प्रेम करते है उनके हाथ भी तुम्हारे अलावा जलते है और यहाँ सिर्फ आग की बात नहीँ हो रही।

क्या दुखी रहना कोई चुन सकता है? शायद नहीं उस मनुष्य को हसाया जा सकता है।

कोई एक रात सपने में मेरे कान पर फुसफुसा गया था-

"निशू कुछ लोगों का सीना इतना भारी बनाया जाता है कि दुनिया में जितने दुःख हैं उनके सीने पर रख दिए जाएं। अगर किसी और के सीने पर वो दुख रखोगे तो वो सीने फट जाएँगे,दूसरों के सीने धँस जाएँगे.. तुम ऐसे ही हसती रहना

"तुम्हारी जरुरत है दुनिया को"

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Pallavi81

ना मैं चुप हूं ना गाता हूं, अकेला ही गुनगुनाता हूं