आज़ादी से पहले इंग्लैंड की सेंसेक्स काउंटी टीम के कप्तान बने थे रणजीत सिंह.

भारत में क्रिकेट की बात की जाए तो यहां वर्ल्ड कप से लेकर आईपीएल तक देशभर का हाल किसी त्योहार से कम नहीं होता। करोड़ों की संख्या में क्रिकेट प्रेमी होने के बावजूद ऐसे बहुत कम ही लोग हैं जो घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट के बारे में जानते हैं। या उसे देखने के इच्छुक होते हैं।

रणजी ट्रॉफी इन्ही घरेलू क्रिकेट मैच में से एक है।

रणजी ट्रॉफी के बारे में समझना बेहद अवशक इसलिए भी हो जाता है क्योंकि क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने कुछ दिन पहले ही रणजी ट्रॉफी पर एक ट्वीट कर लिखा कि मैं भी मुंबई के लिए खेलने को लेकर उत्साहित रहता था. जब भी मुझे मौका मिलता था, मैं खेलता था. हम तकरीबन 7 से 8 इंडिया प्लेयर मुंबई के ड्रेसिंग रूम में होते थे. हम सब काफी मजे करते थे.

ये ट्वीट सचिन ने हाल ही में बीसीसीआई के एक बड़े फैसले को लेकर किया था?

बीते दिनों बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया ने एक आदेश जारी कर बताया था कि इस वक्त जो खिलाड़ी टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं। वह 16 फरवरी से रणजी ट्रॉफी में अपनी अपनी टीमों से जुड़ जाएं। उनके लिए रणजी ट्रॉफी खेलना अब जरूरी कर दिया है। बीसीसीआई ने इस से ये साफ कर दिया कि खिलाड़ी सिर्फ इंटरनेशनल क्रिकेट या फिर आईपीएल को प्राथमिकता नहीं दे सकते। उन्हें घरेलू क्रिकेट में भी अब हिस्सा लेना होगा। इसी के मध्यनजर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी ईशान किशन और श्रेयस अय्यर को टीम से बाहर कर दिया ।

इतिहास की बात की जाए तो असल में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई द्वारा स्थापित रणजी ट्रॉफी का नाम भारत के पहले टेस्ट क्रिकेटर रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया था। रणजीत सिंह भारतीय क्रिकेट के पिता के रूप में जाने जाते हैं वास्तव में उन्होंने भारत के लिए तो कभी नहीं खेला । दरअसल रणजीत सिंह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए जहां उनका परिचय पहली बार क्रिकेट से हुआ। वे क्रिकेट के खेल में ऐसे रम गए कि स्नातक की पढ़ाई खत्म होने के साथ ही वे सेंसेक्स काउंटी टीम के कप्तान बन गए। जिस वक्त भारत इंग्लैंड का गुलाम था उन्हीं दिनों रणजीत सिंह को इंग्लैंड क्रिकेट टीम में चुन लिया जाना अपने आप में ही भारतीयों के लिए बहुत गर्व की बात थी।

अपने पहले ही टेस्ट क्रिकेट मैच में क्रिकेट के पितामहा कहे जाने वाले वर्ग ग्रेस का रिकॉर्ड उन्होंने तोड़ दिखाया। रणजीत सिंह को लोग रणजी के नाम से जानने लगे। उन्हें सम्मान देने के लिए सन 1934 में पहली बार भारत में रणजी ट्रॉफी का आयोजन हुआ। आज यह भारत की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता में गिनी जाती है।

रणजी ट्रॉफी का महत्व आज से ही नहीं जब 2008 से पहले आईपीएल नहीं था तब भारतीय खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी से ही भारतीय क्रिकेट के लिए चुने जाते थे। यहां तक की क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर अपने संन्यास से 1 साल पहले तक महाराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे। रणजी ट्रॉफी खेलना किसी भी क्रिकेटर के लिए एक राष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री गेट माना जाता है। इस वक्त भी चल रहे रणजी ट्रॉफी का फाइनल मैच काफी रोमांचक नजर आ रहा है जहां मुंबई और विधर्भ की टीम आमने सामने हैं

अब देखना होगा कि रणजी ट्रॉफी हमे कितने धुरंधर लाकर देगी ।

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Pallavi81

ना मैं चुप हूं ना गाता हूं, अकेला ही गुनगुनाता हूं