तार बिजली से लिपटी हमारी दिल्ली.
मेरा दिल्ली आकर सबसे पहला अनुभव क्या था जानते हैं ? बिजली के पोल में लपीटी हुई मकड़ी के जाल जैसे तार ,जिस भी गली में जाओ जहां जाओ केवल तार। जितना उलझा जीवन दिल्ली में नहीं है उससे दुगनी उलझी हुई यह गलियों में लगी तारे हैं । तीन घर मैंने इसलिए ठुकराएँ क्योंकि उसके बाहर लगी पोलो में सांप की तरह लिपटी हुई तारे मुझे कुत्सित करती थी । मैं जानती हूं कि सालों से इन तारों के बीच में जीवन लोग काटते आ रहे हैं। लेकिन मेरा दर तारों से इसलिए है क्योंकि आए दिन इनसे जुड़ी कोई ना कोई भयावी खबर अखबार में जरूर होती है।